Saturday, April 17, 2010

तुम क्या समझोगे क्या होता है इंतज़ार,
दो घडी किसी की राह ताक कर तो  देखो |
कौन कहता है की चाँद में आग नहीं होती,
तन्हा , कभी रातों में जाग कर तो  देखो ||

5 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया है , इन चार पंक्तियों में आपने बहुत कुछ कह डाला

    ReplyDelete
  2. वाह अरविन्द जी
    बढ़िया कहा.... कभी रातों में जाग कर तो देखो ||

    और ये भी अच्छा रहा की शेर की संख्या एक से बढ़ कर दो हुई
    अब कल तीन शेर फिर परसों चार ......

    मेरी बात रख ली बहुत बहुत धन्यवाद :)

    ReplyDelete
  3. bahut khoob.....!

    http://idharudharki1bat.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. अद्भुत!! अनुपम !!
    ओ भँवरे! तुम्हे गवारा होगा दुनिया कहे आवारा
    हमें गवारा नहीं, पर भँवरे क्या सच में हो आवारा

    ReplyDelete
  5. " umada ..bahut hi badhiya likhavat hai aapki "

    plz welcome on my blog

    http://eksacchai.blogspot.com

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    ReplyDelete