Friday, April 9, 2010

यादें भी तुम्हारी बड़ी गहराई समेटे हैं,
मैं डूबता जाता हूँ किनारा नहीं मिलता |
जानता हूँ लोग मुझे कहते है आवारा,
पर तेरे बगैर जीने का ठिकाना नहीं मिलता ||

3 comments:

  1. शुक्रिया जनाब :-)

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  2. उस अकेलेपन को वीनस क्या कभी कह पायेगा
    ख्‍वाब थक कर रुक गये और पांव बस चलते रहे
    मार्मिक लिखते है आप...

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