Friday, December 18, 2009

तुम्हारे लिए ...

देखो मैंने सीख लिया हैं वक़्त के साथ बदलना,
अब मैं पहले जैसा गवार नहीं रहा
दुसरो के खाने में बिना बुलाये शरीक हो जाता हूँ ,
मैंने सीख लिया है की पैसे कैसे उधार लिए जाते हैं
अब लड़कियों को देखकर मैं भागता नहीं,
अपना दाया हाथ झट से हिलाकर हाय कह देता हूँ
और देखो मैंने सीख लिया हैं की कैसे
बदतमीजी से भी बड़ों को प्रभावित किया जाता है,
ठीक उसी तरह जैसे मैंने सीखा था
की सिगरेट पी कर धुआं कैसे अन्दर लिया जाता है
वैसे मुझे पहले वाला "मैं" अधिक पसंद था
पर वो बस "मैं" था "हम" न थे
यूँ तो वक़्त के साथ चलना मेरी फितरत नहीं
मगर तुम कहो तो मैं और भी बदल सकता हूँ ...
रंग-ढंग, चाल-चलन, देह-स्वभाव
या फिर सब कुछ
एक दिल को छोड़कर
क्यूंकि अगर यह बदल गया तो फिर कुछ ना बदलेगा ...
दुनिया का कोई भी दूसरा दिल तुम्हारे लिए इतना ना धड़केगा